सुप्रीम कोर्ट ,राज्य, बंटवारे के बाद दोनों राज्यो,मै,एक,साथ का हकदार नहीं,,,बिहार और झारखंड मै से,किसी, एक,राज्य मै,हीं आरक्षण का लाभ

लोकल एरिया न्यूज़ रिपोर्टर अशोक कुमार पासवान पटना बिहार सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार विभाजन के फल स्वरुप कैडर बंटवारे के बाद भी आरक्षण का लाभ बरकरार रहेगा कैडर बंटवारे के बाद झारखंड आने वाला कर्मियों को जो बिहार के मूल निवासी है उन्हें झारखंड में आरक्षण का लाभ मिलेगा उसी प्रकार कैडर बंटवारे के बाद जो कर्मी बिहार चले गए हैं लेकिन झारखंड के मूल निवासी है उन्हें भी बिहार में आरक्षण लाभ मिलेगा आरक्षण का लाभ सिर्फ कैडर बंटवारे में कर्मियों को ही नहीं मिलेगा बल्कि उनके बच्चों को भी मिलेगा लेकिन यह लाभ किसी एक राज बिहार या झारखंड में ही लिया जा सके सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित जस्टिस अजय रताऊ स्विगी की खंडपीठ नया फैसला सुनाया 31 जुलाई को ए एस एल पी पर सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्राथमिक पंकज कुमार के 6 हफ्ते के अंदर 2007 के विज्ञापन संख्या 11 के आधार पर याचना का प्रतिक्षण में नियुक्ति की जा सकता है है लेकिन यह वेतन एवं भक्तों के साथ ही प्रवक्ता के भी हकदार हैं साथ ही कोर्ट ने कहा कि कांस्टेबल बलोची की कोई गलती नहीं है पहले उनकी नियुक्ति की गई फिर हटाया गया उसमें उनकी कोई गलती नहीं है संविधान की धारा 142 के इलेक्शन करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कांस्टेबल बलों को नौकरी में रखने का आदेश दिया खंडपीठ ने कहा कि 24 फरवरी 2020 झारखंड हाई कोर्ट का बहुत कम से दिए गए फैसले कानून की परवाह ही की है और इसलिए इसे खारिज किया जाता है पीठ ने कहा कि सिद्धांतों के आधार पर हम अपने प्रति फैसले से भी सहमत नहीं है स्पष्ट किया कि यह व्यक्ति बिहार या झारखंड दोनों में से किसी एक राज्य का आरक्षण के लाभ का हकदार है लेकिन दोनों राज्यों में एक साथ आरक्षण का लाभ नहीं ले सकता है और अगर ऐसी अनुमति दी जाती है तो यह संविधान के अनुच्छेद 341 अभिलेख एक और 342 अब अगली के प्रधानमंत्री उल्लेख होगा इससे पूर्व सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता सुमित गडरिया ने पक्ष रखा जबकि केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल के के गोली के पक्ष रखा सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से झारखंड हाई कोर्ट के बहुमत के फैसले का समर्थन करते हुए बताया कि दूसरे राज्य के मूल निवासी को झारखंड में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा फैसले की जानकारी देते हुए अधिवक्ता श्री गॉड गॉड दिया ने जैनियों का व्यक्ति बिहार या झारखंड किसी राज्य में लाभ का दावा कर सकता है लेकिन नंबर 2000 में पूर्ण घाट के बाद दोनों राज्य में एक साथ लाभ दावा नहीं कर सकता है सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार के निवासी आरक्षित श्रेणियों के सदस्य के साथ झारखंड में सभी वर्गों के लिए आज याचना प्रक्रिया पर वाणी के तौर पर व्यवहारिक किया जाएगा और इसे आरक्षण का लाभ दावा किए बगैर उनकी शामिल हो सकते उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अनुसूचित जनजाति सदस्य पंकज कुमार सुप्रीम कोर्ट एमएलसी दायर करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते राज सिविल कोर्ट परीक्षा उसके आधार पर नियुक्ति देने के इनकार कर दिया गया था लेकिन उनका पता दिखता है कि वह बिहार का पटना के स्थाई निवासी पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि व्यक्तिगत बिहार या झारखंड में किसी एक राज्य में आरक्षण का दावा करने का हकदार है लेकिन दोनों राज में एक साथ आरक्षण का लाभ दावा नहीं कर सकता है साथ ही जो लोग बिहार के निवासी हैं उनके साथ झारखंड में खुली चयनी याचना प्रक्रिया के प्रभावी तौर पर व्यवहार होगा और आरक्षण का दावा किए बगैर व सम्मान छेने के हिस्सा ले सकते हैं झारखंड हाई कोर्ट ने कहा था कि झारखंड हाईकोर्ट ने दूसरे राज्य के एल एसटी एससी ओबीसी कैडर के लोगों को झारखंड का आरक्षण का लाभ देने के मामले में फरवरी 24 फरवरी 2020 एरोप्लेन के बहुमत के दिए गए अपने आदेश में कहा था कि याचिका था बिहार व झारखंड दोनों आरक्षण का लाभ नहीं ले सकते हैं और इसे प्रकार वह राज्य सिविल सेवा परीक्षा के लिए आरक्षण का दावा नहीं कर सकता चार्जर भेज शामिल में जस्टिस एससी मिश्रण में बहुमत विवेचन फैसला सुनाया था उन्होंने कहा था कि आरक्षण का लाभ राखी का जन्म 1974 में हजारीबाग जिले में हुआ था 15 वर्ष की आयु में 19 सौ 1989 में रांची चले आए 1984 में रांची के मतदाता सूची में उनका नाम था 1999 में एससी कैडर में सहायक शिक्षक के रूप में वर्णित हुए थे सर्विस बुक में बिहार लिखा था दिया गया बिहार बंटवारे के बाद उनका कैडर झारखंड हो गया जेपीसी की प्रतियोगिता परीक्षा में सीटीईटी के आवेदन किया लेकिन उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं देकर सम्मान कैडर में रख दिया गया 

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